मीना और मधु
( फिल्म जगत की लोकप्रिय अभिनेत्रिओं के जीवन की त्रासदपूर्ण कथा )
मीना और मधु थी ,
फिल्म जगत की अद्वितीय सुंदरियां .
महान अदाकारा वोह, जिनके ,
कदम चूमती थी सारी दुनिया.
अभिनय कुशलता ऐसी हर ,
पत्थर दिल को पिघला दे.
बड़े-बड़े कला मर्मज्ञों से भी ,
अपना लोहा मनवा दे.
रूप -लावन्य ऐसाकीउनके समक्ष ,
स्वर्ग की अप्सराएँभी पानी भरें.
ऐसी शोखी ,ऐसी दिलकश अदा ,
की कुदरत भी उनको सजदा करे .
दौलत ने नवाज़ा जिन्हें बेशुमार ,
और एशो -इशरत ने पलकें बिछायी .
कामयाबी ने आसमां पर बिठाया ,
खुशियाँ जीवन पर छाई .
मगर दुनिया ने तो इन्हें सफलता केशीर्ष पर देखा,
क्या कभी क़दमों के निशान उनके देखे? .
संघर्षों से गुज़रते हुए पथरीले रास्तों से चोट खाए,
उनके लहू-लुहान पैरों के ज़ख्म किसने देखे ?
यह किसने जाना की परिवार की जिम्मेदारियों ने ,
कैसे उनका मासूम बचपन छीन लिया.?
वोह शिक्षा-दीक्षा, खेल-कूद,मौजमस्ती ,
वोह रूठना-मानना ,बाल-हठ सब छीन लिया.
पिता की कठोरता ,तंगदिली व् स्वार्थी प्रवर्ती ने ,
मासूम कलियों को घुट-घुट कर जीने पर मजबूर किया.
प्यार ,ममता, लाड की छत्र-छाया के बदले ,
जीवन-संघर्षों की कड़ी -धुप में जलने पर महबूर किया.
आखिरकार समय गुज़रता गयाजैसे-जैसे ,
उनकी कठोर मेहनत रंग लायी .
आत्मसात किया पिता के सपनो को ,
कामयाबी . शोहरत कदम चूमने को आई .
परिवार का बोझ उतरा तो उनकी ,
जान में जान आई .
बहुत जी दूसरों के लिए अब तक,
मगर अब अपने लिए जीने की बारी आई.
सोचा था इन्होने की चलो ! बचपन ना जी सकी ,
तो जवानी को ही जी लेंगे.
जो ना मिला प्यार व् अपनापन ''अपनों '' से ,
अपने जीवन-साथी /प्यार में ढूंढ लेंगे.
मगर कितनी भोली थी यह ललनाएं ,
इतना भी समझ न सकी.
प्यार कोई इनसे करेगा या इनकी दौलत /शोहरत से ,
यह हकीक़त पहचान ना सकी .
यह वोह ज़हरीली दुनिया है जहाँ,
जहाँ कोमल भावनाओं की कोई कद्र नहीं,
जब तक है रूप ,जवानी, दौलत-शोहरत,
सब तुम्हारे हैं. इनके छीन जाने पर कोई किसी का नहीं.
सच्चे प्यार की आरजू औ उम्मीद में ,फिर भी ,
इन्होने सब कुछ लुटा दिया .
जो मिला इन्हें पहले'' अपना''बनाया ,
और फिर इन्हें भुला दिया.
आये थे जो उनके जीवन में ज़ाहिर है के ,
सच्चे प्रेमी /हमराज़ नहीं थे.
वोह तो हे मात्र परवाने , जलती शमों को ,
बुझा कर चले गए.
फिर वही कहानी ,फिर वही फ़साना ,
बचपन का दोहराया गया.
फिर वही घुटन,संताप, दर्द ,उपेक्षा , अपमान ,
से उनका अंजाम लिखा गया.
करोड़ों दिलों पर राज करने वालीये अप्सराएँ,
अपने ''देवताओं '' द्वारा छली गयी.
छूने से भी डरती थी जिन्हें गरम हवा भी ,
वो वेह्शियों द्वारा प्रताड़ित की गयी.
आखिर जब देख ली ''इस '' दुनिया की,
असली सूरत ,तो वो मासूम टूट से गईं .
त्याग कर सब झूठे रिश्ते ,तन्हाई का दामन थामा ,
और श्वेत वस्त्र धारण कर जोगन सी वोह बन गयी.
बिना किसी से शिकवा -शिकायत किये ,
वोह दुनिया का सारा ज़हर पी गईं .
मधु और मीना नाम की फ़रिश्ते सी नारियां ,
बदले में प्यार ,ममता , नेकियाँ लुटाकर ,
खुद मौत को गले लगा गईं .
जुदा हो गयी सदा -सदा के लिए हमसे वह ,
भला यह कोई उम्र थी जाने की? .
अभी तो और सफलता के शिखर को छूना बाकी था,
अभी और लुटाने थे खजाने अपनी अदाकारी औ हुस्न के ,
पूछती है ''अनु '' तुमसे ,ऐसी क्या जल्दी थी जाने की.
फ़रिश्ते के रूप में इंसान थीं तुम ,
मुश्किल है तुम्हारे गुणों का व्यख्यान करना.
मेरा ह्रदय मगर चाहता है सदा ,
तुम प्यार की देवियों को प्रणाम करना.
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