शुक्रवार, 25 नवंबर 2016
शनिवार, 5 नवंबर 2016
रफ़ी गाता कम था रोता ज़ायेदा था ... ( कविता )
रफ़ी गाता कम था ,रोता ज़ायेदा था. ...(कविता )
तो ३६ ०००० से अधिक गीत किसने गाये ?
विभिन्न भाषायों में, विभिन्न भावो में ,
विभिन्न अंदाजों में गीत किसने गाये ?
रफ़ी गर गाना कम गाता था ,तो
हमें दिल के तारों को झनझनाया किसने ? ,
हमें प्रेरणादायक गीत सुना कर जीना सिखाया किसने ?
रफ़ी गर कम गाता था ..
मुहोबत भरे रोमानी गीत गाकर बेदिलों को मुहोबत किसने सिखाई ?
बच्चों के लिए ममता से भरकर उन्हें लोरी भी किसने सुनाई ?
और अनगिनित बाल-गीत किसने सुनाये ?
रफ़ी गर गाता कम था तो ,
हमारे दिल में देश-भक्ति किसने जगाई ?
बर्फीली पहाड़ियों के बीच जाकर हमारे बहादुर फौजियों को ,
वीर -रस भरे गीत गाकर किसने उनका होंसला बढाया ?
रफ़ी गर गाता कम था तो ,
देशवासियों को भाषा - रंग-भेद , जात पात ,और मजहब से
ऊपर उठकर इक इंसान बनने की प्रेरणा किसने दी ?
'' तू हिन्दू बनेगा ना ,मुसलमान बनेगा ,
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा '' .. किसने गया ?
.
रफ़ी गर गाता कम था तो,
भजन और कव्वाली गाकर हैं खुदा और ईश्वर से जोड़ा किसने ?
''मन तडपत हरि दर्शन को आज '' ,गाकर हरि -दर्शन करवाया किसने ?
और भी कई इंसानी ज़ज्बातों से भरे गीत ,
कुछ रोमानी ,और कुछ मस्ती भरे गीत ,
कुछ दर्द भरे तो कुछ गंभीर जीवन- के फलसफे से भरे गीत ,
रफ़ी ने नहीं गाये तो किसने गाये ,बोलो !
माँ सरस्वती की सच्ची सेवा ,साधना और तपस्या ,
का उसे भरपूर वरदान मिला .
भारतवासियों के ह्रदय में प्यार और आदर ,
और भारत सरकार से राष्ट्रीय सम्मान मिला .
जिसे वह संगीत का पुजारी कहीं से खरीद कर नहीं लाया .
अपनी मेहनत ,लगन , त्याग , समर्पण ,और सच्ची निष्ठा
से है उसने सब कमाया.
जिसे कहते हैं हम रफ़ी ,वोह हमारा दोस्त है ,
हमारा रहनुमा ,हमारा गुरु ,हमारा खुदा है.
हाँ वोह रोता था , बहुत रोता था , जार-जार रोता था ,
मगर अपने दिल में, चुपके से .तन्हाई में .
हम चाहने वालों पर लुटाता था अपनी मीठी मुस्कान ,
मगर अपने गम छुपाता था दिल की गहरायी में .
रफ़ी रोता बहुत था ,तुम्हारी फ़िल्मी दुनिया की अँधेरी कडवी
सच्चाई देखकर .
'' देखी ज़माने की यारी .बिछड़े सभी बारी -बारी '' ,किसने सुनाया ?
रफ़ी रोता था दुनिया की दिखावटी प्रीत को देखकर ,
तभी कहता था ''यह महलों ,यह तख्तों ,यह ताजों की दुनिया ,,,
यह इन्सान के दुश्मन ,समाजों की दुनिया ....
यह दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया ,
यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है ! ''
रफ़ी रोता था नारी के दर्द को महसूस कर
शैतानो के हाथ बिक रही नन्ही कलियों को देखकर
वोह दर्द में डूब जाता था.ऐसे में
'' जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वोह कहाँ है ?'' किसने गया ?
भारतीय सैनिकों की मौत पर भी वोह बहुत रोया.
'' कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों किसने गया था. ?''
ससुराल में सुखी रहे हर बेटी ,यह दुआएं किसने दी ?
और वोह हर बेटी के दर्द में भी बहुत रोया ,
जब-जब ससुराल में उसने दुःख उठाये .
जब-जब ससुराल में उसने दुःख उठाये .
'' बाबुल की दुआएं लेती जा ,जा तुझको सुखी संसार मिले ."
यह गीत गाकर हर बाबुल के दिल की आवाज़ बना वोह ...
रफ़ी बहुत रोता था ,क्योंकि वोह एक इंसान था.
रफ़ी हर दिल की धड़कन था , उनका करार था.
रफ़ी एक मासूम सा भोला सा फ़रिश्ता था.
उसके जैसे नगीने सदिओं में जन्म लेते हैं ,
वोह एह कोहिनूर था.
रफ़ी तानसेन और बैजू-बावरा का प्रतिरूप था.
रफ़ी बहु-प्रतिभा शाली और सर्व-गुण संपन्न था,
उसे तुम समझोगे क्या ,तुम उसके बराबर बिलकुल नहीं. .
तुम हो उसके क़दमों की धूल के बराबर भी नहीं.
रफ़ी एक मासूम सा भोला सा फ़रिश्ता था.
उसके जैसे नगीने सदिओं में जन्म लेते हैं ,
वोह एह कोहिनूर था.
रफ़ी तानसेन और बैजू-बावरा का प्रतिरूप था.
रफ़ी बहु-प्रतिभा शाली और सर्व-गुण संपन्न था,
उसे तुम समझोगे क्या ,तुम उसके बराबर बिलकुल नहीं. .
तुम हो उसके क़दमों की धूल के बराबर भी नहीं.
उस अनमोल हीरे को तुम आंको इतनी तुम्हारी औकात नहीं.
चाँद पर गर तुम थूकने की कोशिश करोगे ,
तो अपना ही मुंह गंदा करोगे.
उठाई गर हमारे खुदा पर उंगली ,
तो हम क्या ,ज़माने की नज़र से भी गिरोगे.
तो अपना ही मुंह गंदा करोगे.
उठाई गर हमारे खुदा पर उंगली ,
तो हम क्या ,ज़माने की नज़र से भी गिरोगे.
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