कुछ तो शर्म करो ...... (कविता)
अरे ओ देश के नेताओ और अभिनेताओ !
तुम्हें शर्म नहीं आती है क्या ?
मीडिया में छाये रहने के लिए ,
हथकंडे अपनाते हो क्या -क्या .
कभी बचकानी हरकतें करते हो ,
तो कभी देते हो बेतुके ,भड़कीले बयान ,
मकसद है सिर्फ लोकप्रियता हासिल करना ,
भले ही धूल में मिल जाये तुम्हारा ईमान .
ज़मीर कहीं बेच आये हो क्या ?बदजुबानी में तुम्हारा कोई सानी नहीं,
अमर शहीदों , महापुरुषों पर उठाते हो उंगलियाँ,
त्याग ,बलिदान ,और कर्मठता से भरे
हमारे बहादुर सैनिकों पर कसते हो फब्तियां .
तुम्हें हम सज्जन कह सकते हैं क्या ...?
देश में रहते हो शान से , देश का खाते हो ,
और देश से प्यार तुम्हें तनिक भी नहीं,
हमारे दुश्मनों से हाथ मिलाते हो तुम ,
तुममें देशभक्ति ज़रा सी भी नहीं.
गद्दार हो तुम ,और तुम्हें हम कहें क्या ?
जितनी आज़ादी तुम्हें यहाँ मिली ,
और कहीं हासिल करके दिखाओ ,तो जाने ,
जितना प्यार और सम्मान तुम्हें हमने दिया ,
और कहीं से पाकर दिखाओ ,तो जाने .
एहसान -फरामोश हो तुम ,और कहें क्या.?
कोई गरज नहीं हमारे बहादुर सैनिकों को ,
तुम जैसों को अपनी देशभक्ति का सबूत देने की.
अलबता तुम हो जाओ तैयार ,अब तुम्हारी बारी है ,
अपनी देशभक्ति का सबूत देने की.
पता तो चले कुर्बानी होती है क्या !
नहीं है ना तुममें ! इतना साहस ,इतनी निडरता ,
जो रणभूमि में अपना रक्त बहा सको ?
तो इतनी शर्म ही कर लो . गर
देश के प्रति निष्ठा ही रख सको .
देश को तुम्हारी वजह से शर्मिंदा न होना पड़े .
इतना एहसान कर सकते हो इस पर क्या ?
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