जी चाहता है ... (ग़ज़ल)
जी चाहता है....
कुछ लम्हें हम तुम्हारे साथ गुजारें,
सामने हो तुम ,और तुम्हारा दीदार करें,
वक़्त कुछ ठहर जाएँ बस यहीं पर,
जिंदगी के नाम कुछ यादगार करें .
मेरे माहताब !तुम्हारी पाक़ रौशनी के सदके,
हम अपनी हस्ती को न्योछावर करें .
कुछ बातें -मुलाकातें हो ,और चलें खतों के दौर ,
हम -तुम अपने लफ़्ज़ों में एहसासों को बयाँ करें .
जी चाहता है , हाँ ! जी चाहता है हमारा ऐ हमदम !,
के हम यह जिस्त और इसकी हर ख़ुशी तुम्हारे नाम करें .
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