उम्मीद (ग़ज़ल)
सुनते आये हैं अक्सर हम लोगों से ,
उम्मीदों पर ही है दुनिया कायम .
उम्मीद का दामन कभी मत छोड़ना ,
इसी के होंसलों से ज़िंदा रहते हैं हम .
चाहे जिंदगी में कितना भी अँधेरा हो ,
चिराग-ऐ- उम्मीद में रौशनी ना हो कम.
तकदीर खेले चाहे कितने भी खेल ,
उम्मीद के सहारे कभी तो जीतेंगे हम .
अपने दुश्मनों औ रकीबों से कह दो ,
आज है तुम्हारा तो कल के राजा होंगे हम .
अपने खवाबों को हकीक़त में बदलना होगा ,
कब तक आंसुओं के संग बहने देंगे इन्हें हम .
उम्मीद पर है गर दुनिया कायम तो
आखिरी साँस तक इसकी डोर थामेंगे हम.
उम्मीद की नज़र रखते है गर इंसानों पर ,
एक यकीन का रिश्ता ही तो बनाते हम .
मगर फिर भी दिल तो आखिर दिल है ,
नाकामयाबी पर अपनी मायूस हो जाते हैं हम .
जीना तो है चाहे जैसे भी जियें अनु ,
तो उम्मीद के सहारे क्यों नहीं !
बस यही सोचकर जीये जाते हैं हम.
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