भजन
हमें गर तुम्हारा सहारा न मिलता (भजन )
हमें गर तुम्हारा सहारा ना मिलता। । ,
तो हम बेसहारों का क्या हाल होता।
मेरे सतगुरु ! तेरी रहमत ना होती ,
तूफान में कश्ती को किनारा ना मिलता
ओ मालिक ओ करतार ओ दाता हमारे,.। .
हमारे हमनवां , तुम हमसफ़र हमारे ,. ।
भटका ही करते चौरासी के चक्कर में ,
हमारी रूह को रहबर तुमसा ना मिलता।
इस कुदरत के हसीं नज़ारे है तुम्हारे। ,
यह चाँद-सूरज और सितारे भी तुम्हारे।
तरसती ही रहती यह धरती सदियों ,
गर इसे तुझसा तारणहार न मिलता।
देकर भक्ति -दान हमपर किया उपकार।
अपनी कृपा से तूमने लुटाया अमूल्य प्यार। ,
नाचा ही करते सदा हम माया के इशारों पर ,
गर हमें तुमसा हिफ़ाज़तगार ना मिलता।
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