एक गुज़ारिश तकदीर से.…( ग़ज़ल )
ऐ तकदीर !गर मिल जाये मुझे कुछ इशारा तेरा,
तो मैं क़ज़ा से कह दूँ की थाम ले दामन मेरा।
खुश्क है जिंदगी का गला और मैं भी प्यासी हूँ ,
आबे हयात नहीं ,मुझे बस ज़रा सा दे दो ज़हर ज़रा।
मेरी उम्मीदों की शमा लडखडा रही है ऐ ज़ालिम !,
ना भरा हो तेरा जी तो और बढ़ा दे अन्धेरा .
दिल में तो यह आता है की बस कहीं खो जायुं,
खाक हो जाये जीस्त औ मिट जाये वजूद सारा।
बहुत थक चुकी हूँ अब इस उम्र के सफ़र से ,
मुझे अब कोई जल्दी से कफ़न ला दे ज़रा।