रक्तबीज
महाकाली ने तो किया था एक बार ,
रक्तबीज का संहार .
मगर क्या यह दानव सच में
ख़त्म हो गए हैं!
नहीं ! बिलकुल नहीं !
अब हैं यह मौजूद,
अब कौन मिटाएगा इन्हें?
जिनके प्रकोपों से जनता त्रस्त है .
लगातार पड़ते प्रहारों से पस्त है ,
और हमारे नेता मस्त हैं।
महंगाई , कालाबाजारी , और भ्रष्टाचार
क्या हैं यह?
रक्त बिज ही तो हैं।
गुंडा गर्दी , हत्याएं और बलात्कार
क्या है यह ,
रक्तबीज ही तो हैं।
बेरोज़गारी , आरक्षण ,जाति -भेद, लिंग-भेद,
क्षेत्र-वाद, भाषावाद और घोटाले .
क्या है यह सब !
रक्त बिज ही तो हैं।
कारखानों और मीलों से निकला प्रदूषित धूयाँ ,
शेहरो से निकला गन्दा अपश्य पदार्थ ,नदियों में ,
पर्यावरण जिससे त्रस्त है .
यह हैं धूम्र -विलोचन . जो अपने विषेले फुफकार
मनुष्य ,पशु पक्षी व् पेड़-पौधों का खून चूस रहा है।
प्रकृति का दम घुट सा रहा है।
इन सब की दयनीय दशा के जिम्मदार कौन हैं?
दानव ही तो है यह .
यह हैं ऐसे दानव ,
जिनका अंत हो सकता नहीं।
एक मरेगा तो दूसरा पैदा हो जायेगा।
किस्में है इतनी हिम्मत और ताक़त !
जो इनका संहार करे।
सारी उम्र खर्च हो जाएगी इनसे निबटने में .
अन्नाजी और रामदेव बाबा काफी नहीं इनके लिए।
बंदर-घुड़की के डरने वाले नहीं यह दानव।
इन्हें मिटाने को पुनह महा शक्ति चाहिए।
करने इनका संहार फिर से महाकाली चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें